जीवन के मुखौटे

जीवन के मुखौटे


कितने मुखौटे इंसान है लगाए
एक चेहरे के उपर कितने चेहरे बनाए।

पड़ोसी से झगड़ा या फिर ऑफिस का बास तगड़ा
कह नहीं सकता बच्चों से, डर लगता है मुझको
उनके सामने हर समय बहादुरी दिखाए।

मां की दवाई, बहन की सगाई
जेब खाली हो फिर भी घर तो है चलाना
उधार ले ले के घर के खर्चे चलाए।

बच्चो की पढ़ाई, मकान की ईएमआई
चाहे चुकाते कमर हो जाए दोहरी
पर कैसे सपनों पे कोई पहरे लगाए।

ये जीवन समर है, इसको है पार पाना
चाहे रोकर के जी लो या हंस कर के पी लो
लगा लो मुखौटे, अपने डर को तुम झेलो
अगर डर दिखेगा तो जीने ना देंगे
ये दुनिया की है रीत जो सबने निभाई।

आभार - नवीन पहल - ११.०८.२०२

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु 


   5
2 Comments

Milind salve

13-Aug-2023 11:13 AM

Nice 👌

Reply

Gunjan Kamal

12-Aug-2023 11:39 AM

बहुत खूब

Reply